वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व (वीटीआर) (Valmiki tiger reserve) में किस-किस प्रजाति के पक्षी है, इसकी गणना पहली बार कराइ जा रही है| 16 फ़रवरी से गणना का काम चालू कर दिया गया है, और यह गणना 20 फ़रवरी तक चलेगी| गणना के लिए वीटीआर को चार भागो में बांटा गया है| चारो टीम्स में पांच-पांच विशेषज्ञ शामिल है| फोटोग्राफी के माध्यम से गणना का कार्य किया जा रहा है| इसके अलावा पक्षियों की बीट भी इकठ्ठा की जा रही है| बीट का परिक्षण से पक्षियों की प्रजाति का पता लगाया जा सकेगा|
वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व (Valmiki tiger reserve) में पहली बार पक्षियों की प्रजातियों की गणना
पक्षियों को तीन अलग अलग श्रेणियों में बांटा गया है| इसमें जल, थल, और उभयचर पक्षी शामिल है| पक्षियों की पहचान के लिए वीटीआर के कर्मचारियों का सहयोग लिया जा रहा है| टीम के विशेषज्ञ सुबह शाम जंगल के साथ-साथ नदी व नालो के पास भी जाकर वंहा निवास करने वाले पक्षियों की प्रजातियों का पता लगा रहे है|
जंगल से जुड़े प्रभाग को चार हिस्सों (गंडक रीवर एरिया, वीटीआर, लाल सरैया और उदयपुर जंगल) में बांटा गया है। गणना की रिपोर्ट वल्र्ड वाइल्ड फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ)को भेजी जाएगी। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के डिस्ट्रिक्ट को-आर्डिनेटर कमलेश मौर्य कहते हैं कि बिहार में यह पहला मौका है, जब पक्षियों के प्रजातियों की गणना की जा रही है। वीटीआर में मेहमान पक्षियों का भी आगमन होता है। जो मूलत: चीन, ईरान, बांग्लादेश, श्रीलंका, इंडोनेशिया आदि देश से आते हैं। यहां कुछ ऐसे पक्षी भी देखे गए हैं, जो जापान के मूल माने जाते हैं।